उत्तराखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र: तीन दिन संचालित होने के बाद सदन सोमवार तक स्थगित

विधानसभा का शीतकालीन सत्र तीन दिन संचालित होने के बाद सोमवार तक स्थगित किया गया है। सोमवार को 2233 करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट पर चर्चा होगी। इसके अलावा सदन पटल पर आए कई अहम विधेयकों पर विचार होगा और उन्हें पारित कराया जाएगा। 


 

सभी तारांकित प्रश्नों के उत्तर आए: स्पीकर
उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सभी तारांकित के प्रश्नों के उत्तर दिए गए।  विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में अब तक चले सत्रों में ऐसा 14 बार हो चुका है। वह भी तब जब एक तारांकित प्रश्न पर दो अनुपूरक प्रश्न भी पूछे गए।

विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के भीतर शुक्रवार को सदस्यों से आग्रह किया कि वे अनूपूरक प्रश्न के साथ मूल प्रश्न लगाकर क्षेत्र की समस्या को सदन के पटल पर रखें। कार्य संचालन नियमावली में मूल प्रश्न के सापेक्ष दो ही अनुपूरक प्रश्न पूछने की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने से सदस्यों इस परंपरा का निर्वहन करने का आह्वान किया।

उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा विधेयक पेश

पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास किराये में राहत देने के लिए प्रदेश सरकार ने विधानसभा में शुक्रवार को उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा विधेयक पेश किया। इसके अलावा छह और विधेयक सदन पटल पर आए। विधानसभा सदस्यों की ओर से सदन में कई संकल्प भी प्रस्तुत हुए।  

उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा(आवासीय एवं सुविधाएं) विधेयक: में सरकार ने यह प्रावधान किया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित आवास का किराया सरकारी  दरों से 25 फीसदी अधिक के रूप में किया जाएगा। 

उत्तराखंड पंचायती राज (द्वितीय संशोधन)विधेयक: में सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला के चुनाव लड़ने पर शैक्षिक अर्हता का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा एक साथ दो पद धारण पर रोक भी लगाने का प्रावधान किया गया है। 

कारखाना (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक: इसके जरिये सरकार छोटे उद्योगों को राहत देगी। इसमें कारखाना अिधिनयम  1948 की विभिन्न धाराओं में संशोधन किए गए हैं।

 संविदा श्रम (विनियमन एवं उत्सादन) उत्तराखंड (संशोधन) विधेयक: सरकार पचास से कम श्रमिक वाले संस्थानों या ठेकेदारों को पंजीयिन एवं लाइसेंस की बाध्यता से बाहर करने के लिए लाई है। 

उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी विकास एवं विनियमन (संशोधन) विधेयक: में जैविक उत्पादों के विपणन, क्रय विक्रय एवं प्रसंस्करण के उद्देश्य एक एक निधि के गठन का प्रावधान किया गया है। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक एवं जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। 

ये दो विधेयक: उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक व सोबन सिंह जीना विवि विधेयक

ये प्रतिवेदन भी आए: सदन पटल पर सरकार ने पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम की वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 के वार्षिक लेखा प्रतिवेदन,  लोकसेवा आयोग के एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक वार्षिक प्रतिवेदन व उत्तराखंड प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (उत्तराखंड कैंपा) के वर्ष 2010-11, 2011-12 तथा 2012-13 तक का लेखा परीक्षा रिपोर्ट रखी।